बच्चे की मृत्यु के बाद भी खेल खेलता रहा निजी हॉस्पिटल
अरूण देव सिंह
आकाआसं बस्ती। अक्षय कुमार की सन् 2015 में एक मूवी आयी गब्बर। जिसमें भ्रष्टाचार का ऐसा रूप दिखाया गया जो आज समाज में व्याप्त है। उसी मूवी में एक सीन प्राइवेट हॉस्पिटल का था। जिसमें भ्रष्टाचार के साथ-साथ मानवता को भी शर्मसार कर दिया था। उस सीन में एक मरे हुए व्यक्ति का प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज के नाम पर लाखों रुपए लिए जाते हैं और मरे हुए परिजनों से इस तरह व्यवहार किया जाता है जैसे कोई सीरियस केस का पेशेंट हो। लाखों रुपए वसूलने के बाद डॉक्टर आता है और कहता है सॉरी हम पेशेंट को बचा नहीं पाए। मतलब मरे हुए पेशेंट को कौन बचाता है। यहां तो खेल पैसों का है। किसी के जज्बातों से क्या फर्क पड़ता है। वैसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के बस्ती जनपद का है। जहां मरे हुए बच्चे का इस तरह इलाज किया जाता है कि मानवता भी शर्मसार हो जाए।
बता दें कि बस्ती शहर के रहमतगंज निवासी अब्दुल अजीम अंसारी ने जिलाधिकारी को शिकायती पत्र देकर बताया कि कड़र स्थित एक मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल में 25 जून से 28 जून तक उसके बच्चे का इलाज के नाम पर इस तरह शोषण किया जाता है कि बच्चा हॉस्पिटल में ही दम तोड़ देता है, लेकिन हॉस्पिटल वालों का दिल थोड़ा सा भी नहीं पिघलता है, और बच्चे को भर्ती कर केवल रुपए का मीटर चलाया जाता है, तथा अंत में यह कहकर बच्चे को रेफर कर दिया जाता है कि मामला बहुत सीरियस है, इसे लखनऊ लेकर जाइए। परिजनों को क्या पता था कि जो बच्चा मर गया है, उसे लेकर लखनऊ जा रहे हैं। आनन-फानन में किसी तरह परिजनों ने बच्चे को लेकर डॉ राम मनोहर लोहिया संस्थान लखनऊ पहुंच जाते हैं, परन्त जब डॉक्टरों ने बताया कि इस बच्चे की मृत्यु तो 16 से 18 घंटे पूर्व ही हो गई है, तो परिजनों के पैरों तले जमीन ही खिसक गई। जिस उद्देश्य से परिजन लखनऊ पहुंचे थे वह तो एक क्षण में ही खत्म हो गया। लखनऊ के डॉक्टर ने यह भी बताया कि बच्चे के गले की सारी नसें जाम थी, जो बीगो लगा हुआ था वह भी जाम था। अब परिजन का हाल यह था कि मानो उनका संसार ही लुट गया हो। सुनने वालो ने कहा कि धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर की यह दशा बेहद निंदनीय है।
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